Poet
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Sarvesh Tripathi
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Back to List of Poets Back to List of Poems कहीं न जाने की इच्छा से किसी मार्ग पर जैसे चलना ।
प्रश्न अनकहे है गलियों में सरल नही है ऐसे चलना । छोटे छोटे गली मोहल्लों की मजबूरी अलग किस्म की । कस्बे में उन दो आखों से आँख बचाकर कैसे चलना ।। चन्द दिनों के लिए सही पर सच्चे राही हम तुम थे । अपने उस निर्दोष प्यार की सिर्फ गवाही हम तुम थे । छद्म जीत की ख़ुशी मनाना और हार पर रो लेना । बचपन के मासूम खेल के चोर सिपाही हम तुम थे । |
***सहमति पत्र***
1. मैं साहित्यिक वेबसाइट www.niharikanjali.com को अपनी साहित्यिक रचनाएं जो कि मेरी स्वयं की मौलिक रचनाएं हैं, प्रकाशित करने की सहमति प्रदान करता / करती हूँ। इसके लिए उपरोक्त वेबसाइट से मैं भविष्य में कभी भी अपनी रचनाओं को प्रकाशित करने के लिए किसी भी प्रकार के भुगतान की मांग नहीं करूंगा / करूंगी।
2. विवाद की स्थिति में रचनाओं की मौलिकता सिद्ध करने में वेबसाइट www.niharikanjali.com की किसी प्रकार की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी एवं रचनाओं की मौलिकता सिद्ध करने का प्रथम एवं अंतिम कर्तव्य मेरा स्वयं का ही होगा।
3. उपरोक्त वेबसाइट से संबंधित किसी भी प्रकार के विवाद का न्यायिक क्षेत्र कानपुर अथवा दिल्ली ही होगा।
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